Top-20 Sher by Rony Chahal
Jo na gujaari na ja saki hamse
Hamne wo jindagi gujari hai
मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को,.,!!
Meri bahon me bahkane ki saja bhi sun le
Ab bahut der me azaad karu ga tujhko
सब से पहले दिल के ख़ाली-पन को भरना
पैसा सारी उम्र कमाया जा सकता है,.,!!
Sabse pahle dil ke khalipan ko bharna
Paisa sari umra kamaya ja sakta hai
बहाना कोई तो दे ऐ जिंदगी ,.,
के जीने के लिए मजबूर हो जाऊं ,.,!!
सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है,.,!!
पूछा जो हुस्न क्या है जवानी क्या चीज़ है,
हर- शख्स -की ज़ुबाँ पे तेरा नाम आ गया,.,!!
उसे सोने की ज़ंजीरों से बँधना अच्छा लगता है,
मेरी चाहत के धागों से कहाँ वो शख्स बँधता है,.,!!
मुस्कुराई तो लब उसके ऐसे दिखे,
बाग़ में कोई गुलाब खिल गया जैसे.,!!
सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए,.,!!
छोड़ आया हूँ पीछे सब आवाज़ों को
ख़ामोशी में दाख़िल होने वाला हूँ,.,!!
न हार अपनी न अपनी जीत होगी
मगर सिक्का उछाला जा रहा है,.,!!
बे-ज़ार हो चुके हैं बहुत दिल-लगी से हम
बस हो तो उम्र भर न मिलें अब किसी से हम,.,!!
हम पशु में भी भगवान देख लेते हैं।
वो इंसान को भी काफ़िर कह क़त्ल कर देते हैं,.,!!
एक दिल होता तो एक बार टूटता ग़ालिब..
तुम तो सीने में हज़ार दिल लिये फिरते हो,.,!!
जिस नज़र से हुयी थी हमको मोहब्बत
आज भी उस नज़र को तलाशते फिरते हैं,.,!!
बैठे बैठे दिमाग में ख्याल आया
मैं मर-मरा जाऊँगा तो आप सबको पता कैसे चलेगा ?
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई,.!!
आप अगर सत्य का साथ नहीं दे सकते,
तो फिर आप किसी का भी साथ नहीं दे सकते...!!
लोग तेरा जुर्म देखेंगे, सबब देखेगा कौन?
यहाँ सब प्यासे हैं, तेरे खुश्क लब देखेगा कौन?
रंग लाती हो कहाँ से, ये बता दो, तितलियों
ज़िन्दगी में हम भी, कुछ अब ,रंग तो भरते चलें !!
माना कि औरों के जितना पाया नहीं,
पर खुश हूँ कि स्वयं को गिरा कर कुछ उठाया नहीं,.,!!
ना जाने केसे इम्तिहान ले रही है ज़िन्दगी आजकल
मुक़दर ️मोहब्बत ओर दोस्त..तीनों नाराज़ रहते है,.,!!
आजकल बादलों के भी, ना जाने कौन से ख्वाब टूटे हैं
कम्बख्त सारा दिन बरसते रहते हैं, उसी के शहर में,.,!!
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
दिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर सँभल गई,.,!!
दिल मुझे उस गली में ले जा कर
और भी ख़ाक में मिला लाया,.,!!
तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी
हम तो तुम्हारी याद में सब कुछ भुला चुके
फिर उस ने छेड़ दी हैं ऐसी कुछ दिलचस्प बातें
हम अपने मसअले को भूल कर बैठे हुए हैं,.,!!
ये और बात कि बाज़ी इसी के हाथ रही
वगर्ना फ़र्क़ तो ले दे के एक चाल का था,.,!!
करता ही जाऊँ अनसुनी अपने ज़मीर की..
इतना भी तुझपे जिन्दगी, मरता नहीं हूँ मैं !!
जब तक है डोर हाथ में तब तक का खेल है
देखी तो होंगी तुम ने पतंगें कटी हुई,.,!!
मुझसे ना माँगिए मशवरे मंदिर और मस्जिद के मसलो पर
मै इंसान हु साहब खुद किराए के घर मे रहता हू।
एक पुराना सुखा गुलदस्ता पड़ा है अब भी कोने में,
कौन कहता है की घरो में
कब्रिस्तान नहीं होते...
वो मुझे छोड़ के इक शाम ही गए थे ,,,‘
’ज़िंदगी अपनी उसी शाम से आगे न बढी,,..
ख़ंजर पे कोई दाग न दामन पे कोई छींट ?
तुम क़त्ल करते हो ! के करामात करते हो
हटाओ आईना उम्मीदवार हम भी हैं
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं,.,!!
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने,.,!!
मेरे सुर्ख़ लहू से चमकी कितने हाथों में मेहंदी
शहर में जिस दिन क़त्ल हुआ मैं ईद मनाई लोगों ने...!!
ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ
शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना भी नहीं,.,!!
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया...!!
आँखों में छलकते हैं आँसू दिल चुपके चुपके रोता है
वो बात हमारे बस की न थी जिस बात की हिम्मत कर बैठे,.,!!
हर एक शख़्स भटकता है तेरे शहर में यूँ
किसी की जेब में जैसे तेरा पता ही न हो,.,!!
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं,.,!!!
कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है
ज़िंदगी शाम है और शाम ढली जाए है,.,!!
बिखरा दी वहीं ज़ुल्फ़ ज़रा रुख़ से जो सरकी
क्या रात ढले रात वो ढलने नहीं देते,.,!!
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया,.!!
रुकावटें तो ज़िन्दा इन्सान के हिस्से में ही आती हैं;
अर्थी के लिए तो सब रास्ता छोड़ देते हैं,.,!!
फुर्सत नहीं देती ये जिंदगी …….
चंद लम्हों में दर्द समेटे बैठे हैं,.,!!
एक होने नहीं देती है सियासत लेकिन
हम भी दीवार प दीवार उठाए हुए हैं,.,!!
या तो मिट्टी के घर बनाओ मत
या घटाओं से खौफ़ खाओ मत,.,!!
गरीबी इतनी कि i phone है हाथों में..
अमीरी इतनी के आलू सही लगाओ..!!
अक्सर भूल भी जाता हूँ मैं तुझे.. शाम की चाय में.. चीनी की तरह..
फिर ज़िन्दगी का फीकापन.. तेरी कमी का एहसास दिला देता है,.,!!
परवाह नही चाहे जमाना, कितना भी खिलाफ हो...
चलूगां उसी राह पर , जो सीधा और साफ हो..
और ठेका थोड़ा पास हो,.,!!
चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें,
चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को,.,?
मैं तो बस ख़ुद्दार था , वो समझा मग़रूर
कारण था निकला नहीं,मुख से शब्द हुजूर,.,!!
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ,.,!!
हावी जब होने लगें ,दिल पर कुछ जज्बात ।
तुरत पकड़ प्रिय को किसी, कह दो मन की बात ,.,!!
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद,.,!!
नफ़रतों की जंग में देखो तो क्या क्या हो गया
सब्ज़ियाँ हिन्दू हुईं बकरा मुसलमाँ हो गया,.,!!
कोई टोपी तो कोई अपनी पगङी बेच देता है,
मिले अगर भाव अच्छा, जज भी अपनी कुर्सी बेच देता है,
तवायफ फिर भी अच्छी, कि वो सीमित है कोठे तक,
पुलिस वाला तो चौराहे पर, वर्दी बेच देता है,.,!!!
चला तो मेरे साथ चले थे काफिले
लगा जो काँटा तो अकेला ही रुका मैं ,.,!!
बड़े खुश थे वो, मैने कमियाँ दुसरो की गिनाई तब तक
बारी उनकी आई तो बुरा मान गए ...!!
ये बिगाड़ देती है, ये संवार देती है..
सौबत जरा सोच समझकर किया किजै..!!
मुझे गिराने में ताक़त लगाई है जितनी
तू उस से कम में मुझे पीछे छोड़ सकता था,.,!!
जरूरते ले जाता है दफ्तर में..
और खुशियां घर लाता है..
वो पिता होने के बाद..
खुद के लिए कहाँ जीता है..!!
अजब ये ज़िंदगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसाँ
रिहाई माँगता है और रिहा होने से डरता है,.,!!
पलकों तक जमी हुई आँखों में काई अब कौन रखता है,
तक़दीर जिससे लिखी गई वो स्याही अब कौन रखता है,.,!!
मजबूरियाँ हैं कुछ मेरी मैं बेवफा नहीँ,
सुन यह वक्त बेवफा है मेंरी खता नही,.,!!
तुम छत पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकला
ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में...!!!
ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं
फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं,.,!!
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ,.,!!
माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़
शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी,.,!!
मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें
कुछ तुम भी बदल कर देखो, कुछ हम भी बदल कर देखें,.,!!
बादलों से छूटकर ,,,
बुँदे मेरे आँगन में नाचने आई है ,,😍😍❤❤
अब जिसके जी में आए वही पाए रौशनी
हमने तो दिल जला के सर-ए-आम रख दिया,.,!!
जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा
जब तक भारी बक्सा होगा, तब तक तू हैरान रहेगा..!!
या तो मिट्टी के घर बनाओ मत
या घटाओं से खौफ़ खाओ मत !!
मन्दिर , मस्जिद जुबा जुबा पर,और युग बीत गई सारी
न कॊई नमाजी ही बन पाया,और न ही बना कॊई पुजारी,.,!!
बहुत कोशिश की आज 'सिर्फ' बारिश पर शायरी लिखु
पर हर बौछार 'सिर्फ' तुम्हारी याद बरसा रही थी ,.,!!
मोहब्बत में जबरदस्ती अच्छी नहीं होती,
तुम्हारा जब भी दिल चाहे मेरे हो जाना..!!!
बडी लंबी गूफ्तगू करनी है मुझको तुम से ,
तुम आना...मेरे पास
एक पूरी ज़िंदगी लेकर....!!
अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन,.,!!
अब न वो शोर न वो शोर मचाने वाले
ख़ाक से बैठ गए ख़ाक उड़ाने वाले,.,!!
कितने उलझे, कितने सीधे ..
रस्ते, उन के रंग-महल के .,.!!
मैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता
देख कर मुझको तेरे ज़ेहन में आता क्या है,.,!!
पड़ोसी, पड़ोसी से बेखबर होने लगा है
बधाई हो ! अब ये गाँव शहर होने लगा है,.,!!
ख़ुदगर्ज़ी छुपी रहती है इश्क़ के हर जज़्बात में-
मालूम है मुझे, जँचती हु मैं बस तुम्हारे साथ में,.,!!
मुझ को तो होश नहीं तुम को ख़बर हो शायद
लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया,.,!!
इस से बेहतर जवाब क्या होगा
खो गया वो मिरे सवालों में,.,!!
तेरे होंठो में भी क्या खूब नशा है ,.,
लगता है तेरे जूठे पानी से ही शराब बनती है ,.,!!
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